बरसीम की खेती
बरसीम हरे चारों में अपने गुणो द्वारा दुधारू पशुओ के लिए प्रसिद्ध हैI उत्तरी एवं पूर्वी क्षेत्रों में मक्का या धान के बाद रबी की फसल में बरसीम की खेती की जाती है बरसीम की खेती हरे चारे हेतु लगभग पूरे भारतवर्ष में की जाती हैI
Climatic Requirements
बरसीम की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु एवं भूमि होनी चाहिए?
बरसीम को रबी की फसलों के साथ उगते है इसके लिए गर्मी की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए शरद ऋतु में ही इसकी खेती पूरे उत्तर प्रदेश में की जाती हैI बरसीम की खेती के लिए दोमट तथा भारी दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है इसकी खेती के लिए अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं होती हैI
Varieties
बरसीम की उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी है?
बरसीम की मुख्य प्रजातियां इस प्रकार से है जैसे कि बरदान, मैस्कावी, बुंदेलखंड बरसीम जिसे जे.एच.पी.146 भी कहते है जे.एच.टी.वी.146, वी.एल.10, वी.एल. 2, वी.एल. 1, वी.एल. 22 एवं यु.पी.वी.110 तथा यु.पी.वी.103 हैI
Field Preperation:
खेतों की तैयारी किस प्रकार से करे?
खरीफ की फसल के बाद बरसीम की खेती हेतु पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करके खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिएI बुवाई के लिए खेत को 4 मीटर गुणे 5 मीटर की क्यारियों में बाँट लेना चाहिएI
Seed And Sowing:
बरसीम की खेती में बीज की मात्रा प्रति हेक्टेयर कितनी लगती है और बीजो का शोधन किस प्रकार से करे?
बरसीम का बीज 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगता हैI चारा की उपज अधिक प्राप्त करने हेतु साथ में मिलाकर टाइप9 सरसो चारे वाली का बीज एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बोते हैI बरसीम में प्रायः कसनी का बीज मिला रहता है इसको निकालने हेतु 5 से 10 प्रतिशत नमक के घोल में मिश्रित बीज डाल देने से कसनी के बीज ऊपर आ जाते है उन्हें छनकर अलग कर लेना चाहिएI नमक के घोल से बीज को तुरंत निकालकर अलग कर लेना चाहिए जब बरसीम खेत में पहली बार बोई जा रही हो तो 10 किलोग्राम बीज को 200 ग्राम बरसीम कल्चर की दर से उपचारित कर लेना चाहिएI कल्चर न मिलाने पर बीज के बराबर मात्रा में पहले बोये गए कहते की मिट्टी मिला लेते हैI मृदा उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करे तथा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीजोपचार भी करना चाहिएI
बीजो की बुवाई का सही समय क्या है और इसे किस विधि से बोया जाता है?
बरसीम की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक करना ठीक रहता है देर से बोने पर कटाई की संख्या कम तथा उपज भी कम प्राप्त होती हैI खेत की 4 गुने 5 की तैयार क्यारियो में 5 सेंटीमीटर गहरा पानी भरकर उसके ऊपर शोधित बीज छिड़ककर बुवाई करते है बुवाई के 24 घंटे बाद पानी क्यारियो से निकाल देना चाहिएI जहाँ धान कटाने के बाद बरसीम की बुवाई की जाती है वहाँ पर यदि धान कटने में यदि देर हो तो धान कटने से पहले 10 से 15 दिन पूर्व भी बरसीम को धान की खड़ी फसल में छिड़काव विधि से बुवाई करते हैI
Nutrient Management:
उर्वरको का प्रयोग कब करना चाहिए और कितनी मात्रा में करना चाहिए?
बरसीम में नत्रजन की मात्रा की आवश्यकता कम पड़ती हैI बरसीम हेतु 20 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़ककर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए इसके बाद क्यारी बनाकर पानी भरना चाहिए तथा बुवाई के बाद करते हैI
Water Management:
बरसीम में सिंचाई प्रबंधन की क्या व्यवस्था होती है इस बारे में बताइये?
बरसीम में पहली सिंचाई बीज अंकुरित होने के तुरंत बाद करनी चाहिए बाद में प्रतेक सप्ताह के अंतर पर दो-तीन सिंचाई करनी चाहिए इसके बाद अंत तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करे तथा मार्च से मई तक 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिएI
Weed Management:
बरसीम की खेती में खरपतवारों का नियंत्रण कब करना चाहिए कैसे करना चाहिए?
बरसीम में निराई गुड़ाई की आवश्यकता कम पड़ती है तथा खरपतवार के साथ-साथ कासनी जमती है तो उसे खरपतवार के साथ ही उखाड़कर अलग कर देना चाहिएI खरपतवार एवं कासनी उखाड़ने के बाद पानी लगाना चाहिएI
Harvesting:
बरसीम की कटाई हरे चारे हेतु कब और कितनी मात्रा में करनी चाहिए?
बरसीम में कुल चार-पांच कटाईया करते हैI बरसीम का फोलियेज जिसे हम हरा तना कहते है 6 से 8 सेंटीमीटर के ऊपर से कटना चाहिएI पहली कटाई बोने के 45 दिन बाद करनी चाहिए इसके बाद कटाई दिसम्बर एवं जनवरी में 30 से 35 दिन बाद करते है तथा फरवरी में 20 से 25 दिन बाद कटाई करते है इस प्रकार कुल 4 से 5 कटाई केवल चारा प्राप्त करने हेतु की जाती हैI
Yield:
बरसीम से हरे चारे का उत्पादन और बीज उत्पादन प्रति हेक्टेयर कितनी मात्रा में प्राप्त हो जाता है?
इसमे दो तरह से उपज प्राप्त होती है एक तो हरा चारा दूसरा बीज उत्पादन परिस्थिति के आधार पर प्राप्त होता हैI हरा चारा बिना बीज उत्पादन के 800 से 1000 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता हैI बीजोत्पादन पर हरा चारा 400 से 500 कुंतल प्रति हेक्टेयर एवं बीज दो से तीन कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता हैI
Special Operation:
बरसीम का बीजोत्पादन किस प्रकार करते है?
बरसीम की दो-तीन कटाई के बाद कटाई बंद कर दी जाती हैI फरवरी का अंतिम या मार्च का प्रथम सप्ताह उपयुक्त होता हैI अंतिम कटाई के 10-15 दिन तक कटाई रोक देना चाहिएI अधिक कटाई करने पर बीज की उपज कम एवं बीज कमजोर प्राप्त होता हैI
बरसीम की खेती के लिए किस प्रकार की जलवायु एवं भूमि होनी चाहिए?
बरसीम को रबी की फसलों के साथ उगते है इसके लिए गर्मी की आवश्यकता नहीं होती है इसलिए शरद ऋतु में ही इसकी खेती पूरे उत्तर प्रदेश में की जाती हैI बरसीम की खेती के लिए दोमट तथा भारी दोमट भूमि सर्वोत्तम होती है इसकी खेती के लिए अम्लीय भूमि उपयुक्त नहीं होती हैI
बरसीम की उन्नतशील प्रजातियां कौन-कौन सी है?
बरसीम की मुख्य प्रजातियां इस प्रकार से है जैसे कि बरदान, मैस्कावी, बुंदेलखंड बरसीम जिसे जे.एच.पी.146 भी कहते है जे.एच.टी.वी.146, वी.एल.10, वी.एल. 2, वी.एल. 1, वी.एल. 22 एवं यु.पी.वी.110 तथा यु.पी.वी.103 हैI
खरीफ की फसल के बाद बरसीम की खेती हेतु पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करने के बाद दो-तीन जुताई कल्टीवेटर या देशी हल से जुताई करके खेत को भुरभुरा बना लेना चाहिएI बुवाई के लिए खेत को 4 मीटर गुणे 5 मीटर की क्यारियों में बाँट लेना चाहिएI
बरसीम का बीज 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लगता हैI चारा की उपज अधिक प्राप्त करने हेतु साथ में मिलाकर टाइप9 सरसो चारे वाली का बीज एक किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बोते हैI बरसीम में प्रायः कसनी का बीज मिला रहता है इसको निकालने हेतु 5 से 10 प्रतिशत नमक के घोल में मिश्रित बीज डाल देने से कसनी के बीज ऊपर आ जाते है उन्हें छनकर अलग कर लेना चाहिएI नमक के घोल से बीज को तुरंत निकालकर अलग कर लेना चाहिए जब बरसीम खेत में पहली बार बोई जा रही हो तो 10 किलोग्राम बीज को 200 ग्राम बरसीम कल्चर की दर से उपचारित कर लेना चाहिएI कल्चर न मिलाने पर बीज के बराबर मात्रा में पहले बोये गए कहते की मिट्टी मिला लेते हैI मृदा उपचार हेतु ट्राइकोडर्मा 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के हिसाब से प्रयोग करे तथा 4 ग्राम प्रति किलोग्राम की दर से बीजोपचार भी करना चाहिएI
बरसीम की बुवाई 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक करना ठीक रहता है देर से बोने पर कटाई की संख्या कम तथा उपज भी कम प्राप्त होती हैI खेत की 4 गुने 5 की तैयार क्यारियो में 5 सेंटीमीटर गहरा पानी भरकर उसके ऊपर शोधित बीज छिड़ककर बुवाई करते है बुवाई के 24 घंटे बाद पानी क्यारियो से निकाल देना चाहिएI जहाँ धान कटाने के बाद बरसीम की बुवाई की जाती है वहाँ पर यदि धान कटने में यदि देर हो तो धान कटने से पहले 10 से 15 दिन पूर्व भी बरसीम को धान की खड़ी फसल में छिड़काव विधि से बुवाई करते हैI
बरसीम में नत्रजन की मात्रा की आवश्यकता कम पड़ती हैI बरसीम हेतु 20 किलोग्राम नत्रजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से बोते समय खेत में छिड़ककर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देनी चाहिए इसके बाद क्यारी बनाकर पानी भरना चाहिए तथा बुवाई के बाद करते हैI
बरसीम में पहली सिंचाई बीज अंकुरित होने के तुरंत बाद करनी चाहिए बाद में प्रतेक सप्ताह के अंतर पर दो-तीन सिंचाई करनी चाहिए इसके बाद अंत तक 20 दिन के अंतराल पर सिंचाई करे तथा मार्च से मई तक 10 दिन के अंतराल पर सिंचाई करनी चाहिएI
बरसीम में निराई गुड़ाई की आवश्यकता कम पड़ती है तथा खरपतवार के साथ-साथ कासनी जमती है तो उसे खरपतवार के साथ ही उखाड़कर अलग कर देना चाहिएI खरपतवार एवं कासनी उखाड़ने के बाद पानी लगाना चाहिएI
बरसीम में कुल चार-पांच कटाईया करते हैI बरसीम का फोलियेज जिसे हम हरा तना कहते है 6 से 8 सेंटीमीटर के ऊपर से कटना चाहिएI पहली कटाई बोने के 45 दिन बाद करनी चाहिए इसके बाद कटाई दिसम्बर एवं जनवरी में 30 से 35 दिन बाद करते है तथा फरवरी में 20 से 25 दिन बाद कटाई करते है इस प्रकार कुल 4 से 5 कटाई केवल चारा प्राप्त करने हेतु की जाती हैI
इसमे दो तरह से उपज प्राप्त होती है एक तो हरा चारा दूसरा बीज उत्पादन परिस्थिति के आधार पर प्राप्त होता हैI हरा चारा बिना बीज उत्पादन के 800 से 1000 कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता हैI बीजोत्पादन पर हरा चारा 400 से 500 कुंतल प्रति हेक्टेयर एवं बीज दो से तीन कुंतल प्रति हेक्टेयर प्राप्त होता हैI
बरसीम की दो-तीन कटाई के बाद कटाई बंद कर दी जाती हैI फरवरी का अंतिम या मार्च का प्रथम सप्ताह उपयुक्त होता हैI अंतिम कटाई के 10-15 दिन तक कटाई रोक देना चाहिएI अधिक कटाई करने पर बीज की उपज कम एवं बीज कमजोर प्राप्त होता हैI